‎कजरौटा - अरविंद अकेला कल्लू & शिवानी सिंह (भोजपुरी सॉन्ग लीरिक्स)

CREDIT
Album - कजरौटा
Song - Kajrauta
Singer - Arvind Akela Kallu, Shivani Singh
Lyrics - Bhagirath Pathak
Music - Sargam Akash
Present's - IVY Bhojpuri Movies

-- म्यूजिक --


पिछा करेलऽ काहे तू पागल खानी
‎दुनिया में सुनर एगो हमही का बानी
छोड़ब की ना
छूवे दऽ
‎पिछा करेलऽ काहे तू पागल खानी
‎दुनिया में सुनार एगो हमही का बानी
आय हाय हाय हाय
‎गोर गोर गलिया फरवठा लागेला

‎गोरी रे तोर कारी कारी अंखियाँ
‎कजरौटा लागेला

गोरी रे तोर कारी कारी अंखियाँ
‎कजरौटा लागेला

-- म्यूजिक --


‎साचऽ कहि त लागेलु कचा काली
‎मन करे तोहरा के कोरवा में धली

हो कोरवा में धली

अनेरे तू बहकतारऽ हो
‎भीतर से डहकतारऽ हो

‎चढ़ल जवानी पहिलावठा लागेला
‎गोरी रे तोर कारी कारी अंखियाँ
‎कजरौटा लागेला

‎गोरी रे तोर कारी कारी अंखियाँ
‎कजरौटा लागेला

-- म्यूजिक --


‎दिल में देदा कल्लू के तू जागहा
‎देखी भागीरथ के तुरावऽ जनी पागहा

तुरावऽ जनी पगहा
अरे हटऽ

‎नियत तोहर बाऊर बाटे हो
‎इरादा कुछ आऊर बाटे हो

‎सऊसे बदन ए जमावटा लागेला
‎गोरी रे तोर कारी कारी अंखियाँ
‎कजरौटा लागेला

‎गोरी रे तोर कारी कारी अंखियाँ
‎कजरौटा लागेला

Kajrauta - Arvind Akela Kallu & Shivaniu Singh (Bhojpuri Song Lyrics)


-- Music --


Pichha Karela kahe Tu Pagal Khani
Duniya Me Sunar Ego Hamhi Ka Bani
 Chhodaba Ki Na
Chhuve Da
Pichha Karela Kahe Tu Pagal Khani
Duniya Me Sunar Ego Hamhi Ka Bani
Aay Hay Hay Hay
Gor Gor Galiya Pharavatha Lagela

Gori Re Tor Kari Kari Ankhiyan
Kajrauta Lagela
Gori Re Tor Kari Kari Ankhiyan
Kajrauta Lagela


-- Music --


Sachh Kahi Ta Lagelu Kachha Kali
Man Kare Tohra Ke Korawa Me Dhali
‎Ho Korawa Me Dhali

Anere Tu Bahakatar Ho
Bhitar Se Dahakatar Ho

Chadhal Jawani Pahilavatha Lagela
Gori Re Tor Kari Kari Ankhiyan
Kajrauta Lagela
Gori Re Tor Kari Kari Ankhiyan
Kajrauta Lagela

 ‎
-- Music --

 
Dil Me Deda Kallu Ke Tu Jagaha
Dekhi Bhagirath Ke Turaw Jani Pagaha
Turaw Jani Pagaha
Are Hata

Niyat Tohar Baur Bate Ho
Irada kuchh Aaur Bate Ho
Sause Badan E Jamavata Lagela
Gori Re Tor Kari Kari Ankhiyan
Kajrauta Lagela
Gori Re Tor Kari Kari Ankhiyan
Kajrauta Lagela

अरविंद अकेला कल्लू और शिवानी सिंह की जुगलबंदी में आया गाना 'कजरौटा' एक लोकगीत है, जिसने रिलीज होते ही क्षेत्रीय संगीत प्रेमियों के बीच हलचल मचा दी है।

'कजरौटा' एक ठेठ 'लोकगीत' (Lokegeet) शैली का गाना है, जो आधुनिक संगीत संयोजन के साथ भोजपुरी संस्कृति की आत्मा को जीवंत करता है। यह गाना सिर्फ एक ऑडियो ट्रैक नहीं है; यह ग्रामीण परिवेश, प्रेम की चुलबुली छेड़छाड़ और युवा मन की भावनाओं का एक काव्यात्मक चित्रण है। कल्लू, जो अपनी ऊर्जावान और मस्तीभरी गायकी के लिए जाने जाते हैं, और शिवानी सिंह, जिनकी आवाज में मिठास के साथ-साथ आवश्यक तीखापन भी है, ने मिलकर इस ट्रैक को एक अविस्मरणीय अनुभव बना दिया है।
क्रिएटिव टीम और तकनीकी उत्कृष्टता
किसी भी हिट गाने की सफलता के पीछे सिर्फ गायक नहीं, बल्कि पूरी रचनात्मक टीम का योगदान होता है। 'कजरौटा' के क्रेडिट्स पर नज़र डालने से पता चलता है कि यह गाना अनुभवी और प्रतिभाशाली हाथों में बुना गया है।
गीतकार भगीरथ पाठक: गाने की आत्मा इसके बोलों में बसती है, और यहां भगीरथ पाठक ने अपनी कलम का जादू चलाया है। उन्होंने भाषा की सरलता और क्षेत्रीय मुहावरों का ऐसा मिश्रण प्रस्तुत किया है, जो सीधे श्रोता के मन को छूता है। 'कजरौटा' शब्द का चयन ही अपने आप में कविता है। 'कजरौटा' का तात्पर्य उस गहरे, काजल से भरी आँखों से है जो नायिका की सुंदरता को कई गुना बढ़ा देती है। यह शब्द तुरंत श्रोताओं को ठेठ देहाती पृष्ठभूमि से जोड़ता है। गाने के संवाद-शैली वाले बोल, जैसे "पिछा करेलऽ काहे तू पागल खानी" (पागलों की तरह मेरा पीछा क्यों करते हो?) और "नियत तोहर बाऊर बाटे हो" (तुम्हारी नीयत ठीक नहीं है), गीत को एक जीवंत नाटकीयता प्रदान करते हैं। उनकी लेखनी में वह 'देशीपन' है जो भोजपुरी लोकगीतों की जान होती है।
संगीतकार सरगम आकाश: भोजपुरी गानों की सफलता में संगीत संयोजन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। सरगम आकाश ने 'कजरौटा' को एक ऐसी धुन दी है जो तुरंत पैर थिरकने पर मजबूर कर देती है। संगीत में पारंपरिक वाद्य यंत्रों, जैसे ढोलक या तबला, की थाप को सिंथेसाइज़र और इलेक्ट्रॉनिक बीट्स के साथ इतनी खूबसूरती से मिलाया गया है कि यह पुराना भी लगता है और नया भी। गाने का टेम्पो (गति) बिल्कुल सटीक है—न बहुत धीमा और न ही असहज रूप से तेज। यह एक परफेक्ट डांस नंबर है, जो न केवल डीजे पर धूम मचाएगा बल्कि शांत माहौल में भी गुनगुनाया जा सकता है। संगीत ने कल्लू की ऊर्जा और शिवानी की कोमलता के बीच एक आदर्श संतुलन स्थापित किया है।
गीत के बोलों का गहन और भावनात्मक विश्लेषण
'कजरौटा' मूल रूप से नायक और नायिका के बीच का मीठा संवाद है, जहां नायक अपनी प्रेमिका की सुंदरता पर मोहित है और नायिका नखरे दिखाते हुए प्रेम को स्वीकार करने से हिचक रही है।
नायक का पक्ष (कल्लू): नायक पूरी तरह से नायिका के रूप-सौंदर्य पर फिदा है।
> "गोर गोर गलिया फरवठा लागेला, गोरी रे तोर कारी कारी अंखियाँ कजरौटा लागेला।"
यह पंक्ति गाने का केंद्र बिंदु है। 'फरवठा' (चमकदार या ताज़गी) और 'कजरौटा' (गहरा काजल) जैसे शब्दों का प्रयोग करके नायक नायिका की सुंदरता की तुलना उस ताज़गी और गहराई से करता है जो हर युवा मन को आकर्षित करती है। नायक खुले तौर पर अपनी इच्छा व्यक्त करता है, जैसे "मन करे तोहरा के कोरवा में धली" (मन करता है तुम्हें अपनी बाँहों में भर लूँ), जो ग्रामीण प्रेम की सरलता और बेबाकी को दर्शाता है। वह अपनी बात मनवाने के लिए प्यार भरी मनुहार करता है: "दिल में देदा कल्लू के तू जागहा" (कल्लू को अपने दिल में जगह दे दो)। यह हिस्सा गाने के रोमांटिक और चुलबुले पक्ष को मजबूती देता है।
नायिका का पक्ष (शिवानी सिंह): नायिका, पारंपरिक भारतीय नारी की तरह, प्रेम की अभिव्यक्ति में संकोच करती है और सामाजिक मर्यादा बनाए रखती है, लेकिन उसके जवाबों में हल्की-सी सहमति भी छिपी होती है।

> "अनेरे तू बहकतारऽ हो, भीतर से डहकतारऽ हो..." (तुम बेवजह बहका रहे हो, लेकिन अंदर से जल रहे हो/इच्छा रख रहे हो)।
वह नायक पर अपनी 'नियत' (इरादे) पर शक जताती है: "नियत तोहर बाऊर बाटे हो, इरादा कुछ आऊर बाटे हो" (तुम्हारी नीयत ख़राब है, इरादा कुछ और है)। ये पंक्तियाँ नायिका के चरित्र को मजबूती देती हैं—वह सुंदर है, आकर्षक है, लेकिन अपनी सीमाओं से अवगत है और आसानी से हार नहीं मानती। यह 'हाँ' और 'ना' के बीच का संतुलन ही इस लोकगीत को आकर्षक बनाता है, क्योंकि यह प्रेम-संवाद को एक रोचक खेल बना देता है।
लयबद्धता और मुहावरे: गीत में "चढ़ल जवानी पहिलावठा लागेला" जैसे मुहावरे का प्रयोग युवावस्था के आरंभिक और उत्साहपूर्ण चरण को दर्शाता है। भगीरथ पाठक ने बोलों में ऐसी लय सुनिश्चित की है कि उन्हें गाने में कठिनाई न हो, और वे संगीत की ताल पर सहजता से बैठते हैं।
गायन शैली और कलाकारों की केमिस्ट्री
'कजरौटा' की सफलता का तीसरा और सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ है गायकों की जुगलबंदी।
अरविंद अकेला कल्लू की ऊर्जा: कल्लू अपनी आवाज में एक अद्वितीय चंचलता और उत्साह बनाए रखते हैं। उनका गायन लाउड और एक्सप्रेसिव होता है, जो सीधे दर्शकों के साथ जुड़ता है। नायक के रूप में, उन्हें शरारती, उत्साही और आशिक मिजाज दिखना था, और उनकी गायकी ने इन सभी भावनाओं को पूरी तरह से व्यक्त किया है। उनकी डिलीवरी में एक प्राकृतिक प्रवाह है, जो उन्हें भोजपुरी संगीत के युवा स्टार्स में विशिष्ट पहचान दिलाता है।

शिवानी सिंह का संयमित स्वर: शिवानी सिंह ने नायिका के पक्ष को पूरी संजीदगी और मधुरता के साथ निभाया है। जहां कल्लू की आवाज में आक्रामकता है, वहीं शिवानी की आवाज में एक मिठास और संयम है, जो नायिका के नखरीलेपन को उजागर करता है। उनकी आवाज में वह मासूमियत है जो नायक की शिकायत को प्रभावी ढंग से संतुलित करती है। दोनों गायकों के स्वरों का यह विपरीत और पूरक मिश्रण ही 'कजरौटा' को श्रवण-सुखद बनाता है।

'कजरौटा' केवल एक गाना नहीं, बल्कि भोजपुरी लोकगीत परंपरा का एक आधुनिक और ऊर्जावान प्रतिनिधित्व है। यह गाना साबित करता है कि भोजपुरी संगीत आज भी अपनी जड़ों से जुड़ा हुआ है, लेकिन उत्पादन और प्रस्तुति में आधुनिकता को अपनाया है। भगीरथ पाठक के सरल, सुलभ और मुहावरेदार बोल; सरगम आकाश का थिरकाने वाला संगीत; और अरविंद अकेला कल्लू व शिवानी सिंह की दमदार जुगलबंदी—ये सभी कारक मिलकर इस गाने को एक 'कंप्लीट पैकेज' बनाते हैं।
यह गाना उन सभी श्रोताओं के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो अपनी भागदौड़ भरी जिंदगी में एक पल का सुकून और मौज-मस्ती चाहते हैं। 'कजरौटा' निश्चित रूप से भोजपुरी चार्टबस्टर्स की सूची में अपनी जगह बनाएगा और लंबे समय तक पार्टियों और विवाह समारोहों की शान बना रहेगा। यह भोजपुरी उद्योग के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

आप इस गाने का आनंद नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके ले सकते हैं:-


For More Bhojpuri Songs Lyrics Visit Here



एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ